बुधवार, 16 अक्तूबर 2013


मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहती हूँ,


जानती हूँ इस जगत में फूल की है आयु कितनी,
और यौवन की महकती ,
साँस में हैं वायु कितनी,
इसलिए तो रूप का श्रिंगार सारा चाहती हूँ,
मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहती हूँ।

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