सोमवार, 2 जून 2014



जब न तुम ही मिले गर धरा पर मुझे,
स्वर्ग भी गर धरा पर मिले व्यर्थ  है,


जिन्दगी में सभी को सदा मिल गया ,
प्राण का मीत और साथी राह का,
एक मैं ही अकेला जिसे आज तक,
मिल न पाया सहारा किसी बाँह का,
बेसहारा हुई अबकि जब जिन्दगी
साथ संसार सारा चले व्यर्थ  है।