खून की गर्दिश , दिल की धड़कन ,
सब रंगीनियाँ खो जायेंगी,
लेकिन मैं यहाँ फिर आऊँगा ,
मैं एक गुराइज़ा लम्हा हूँ,
आयाम के फसूखाने में,
मैं एक तड़पता कतरा हूँ,
मसरूफ-ए -सफ़र जो रहता है,
म़ाज़ी की सुराही के दिल से,
मुस्तकबिल के पैमाने में,
मैं सोता हूँ और जगता हूँ,
और जाग के फिर सो जाता हूँ,
सदियों का पुराना खेल हूँ मैं,
मैं मर के अमर हो जाता हूँ।